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Bihar Election 2025 Analysis: NDA Strategy vs Mahagathbandhan | Biggest Wins & Losses

Bihar Election 2025 Analysis: NDA Strategy vs Mahagathbandhan | Biggest Wins & Losses

 

2025 का चुनाव वादों की लड़ाई भी था और संगठन की परीक्षा भी।
NDA और MGB के दृष्टिकोण बिल्कुल अलग थे।

⭐ NDA के वादे: कम लेकिन विश्वसनीय

100 यूनिट मुफ्त बिजली

महिलाओं को प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता

पेंशन और स्वास्थ्य सुरक्षा

ग्रामीण सड़क और सिंचाई सुधार

अपराध पर सख्ती

कौशल विकास और रोज़गार मॉडल


ये सभी योजनाएँ पहले से लागू थीं, इसलिए जनता ने इन्हें “वादे” नहीं बल्कि “काम” की तरह देखा।
 

⭐ महागठबंधन के वादे: आकर्षक लेकिन अविश्वसनीय


युवाओं को ₹30,000 वार्षिक सहायता

बेरोजगारी भत्ता

किसानों की कर्ज माफी

बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरियाँ

शिक्षा-स्वास्थ्य निवेश


समस्या यह नहीं थी कि वादे बड़े थे—
समस्या यह थी कि उनका आर्थिक आधार कमजोर था।

मतदाताओं का सीधा सवाल था:
“पैसा कहाँ से आएगा?”
 

 


NDA vs महागठबंधन: नेतृत्व, मतदाताओं की मनोविज्ञान, जातीय संतुलन, चुनाव संचालन और ग्राउंड रियालिटी का विस्तृत विश्लेषण


⭐ 1. नेतृत्व का अंतर: मोदी + नीतीश बनाम तेजस्वी + राहुल
 

नेतृत्व की धारणा किसी भी चुनाव की आत्मा होती है।
इस चुनाव में NDA ने अपने नेतृत्व को एक मजबूत और स्थिर पैकेज की तरह पेश किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्रीय स्तर का विश्वास

✔ नीतीश कुमार का प्रशासनिक अनुभव

✔ BJP के राष्ट्रीय संगठन की रणनीतिक शक्ति

यह तीनों मिलकर एक मजबूत राजनीतिक ब्रांड बन गए।

इसके मुकाबले महागठबंधन में:

तेजस्वी यादव के पास अनुभव की कमी

❌ राहुल गांधी की लोकप्रियता, वोट-परिवर्तन में परिवर्तित नहीं हुई

❌ RJD-Congress में एक संयुक्त नेतृत्व मॉडल नहीं बन सका

मतदाता “साझा नेतृत्व” वाली सरकार की तुलना में
स्थिर, स्पष्ट और एकजुट नेतृत्व को प्राथमिकता देता है।
NDA इस मोर्चे पर आगे था।
 


⭐ 2. मतदाता मनोविज्ञान: वादों नहीं, भरोसे को वोट मिला
 

बिहार के ग्रामीण और अर्ध-शहरी मतदाता पिछले 15 वर्षों में
काफी परिपक्व और व्यावहारिक हुए हैं।
वे जानते हैं कि किन वादों में दम है और कौन सा वादा सिर्फ चुनावी “लोकलुभावन कथा” है।

मतदाता सोच रहे थे:

“आवासन योजना मुझे घर दे चुकी है। ये ठोस है।”

“उज्ज्वला का गैस सिलेंडर मिला है—यह वादा पूरा हुआ।”

“राशन, पेंशन समय पर आता है—यह भरोसा है।”

“अब जो कह रहा है, क्या वह पहले भी काम करके दिखाया है?”


NDA के साथ उत्तर था—हाँ।

महागठबंधन के साथ उत्तर था—पता नहीं।

यह मनोवैज्ञानिक भरोसा निर्णायक रहा।
 

3. जातीय संतुलन: NDA की इंजीनियरिंग बनाम MGB की पारंपरिक सोच

बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता।
लेकिन 2025 में पहली बार यह समीकरण विकास-आधारित वोटिंग के साथ मिश्रित दिखाई दिया।

NDA ने बहुत सटीक “सामाजिक इंजीनियरिंग” की:

EBC + OBC + Mahadalit + Mahila Voters का गठजोड़

यादव–मुस्लिम सीटों पर भी 15–18% स्विंग

Kurmi–Koeri आधार का मजबूती से NDA में बने रहना

पासवान और निषाद वोट का ध्रुवीकरण


इसके विपरीत महागठबंधन ने:

Yadav–Muslim पर अत्यधिक निर्भरता रखी

नए सामाजिक समूहों में पैठ नहीं बनाई

युवाओं और महिलाओं को आकर्षित तो किया, पर वोट में बदल नहीं पाए


इसका परिणाम यह हुआ कि
NDA ने जातीय गणना को विकास के साथ जोड़ दिया,
जबकि महागठबंधन पुरानी जातीय सोच में फंस गया।


---

⭐ 4. चुनाव संचालन: NDA ने चुनाव ‘लड़ा’ नहीं—उसे ‘मैनेज’ किया

एक बड़ा अंतर यह था कि NDA का चुनाव अभियान
सिर्फ भाषण और रैलियों तक सीमित नहीं था।
उन्होंने इसे वैज्ञानिक तरीके से संचालित किया।

NDA की चुनावी रणनीति में शामिल था:

Booth-by-Booth Performance Analytics

Data-driven voter segmentation

Silent voter outreach program

Digital micro-targeting (WhatsApp clusters, micro-content)

महिलाओं के लिए अलग ground mobilisation

“Panna Pramukh” मॉडल की सटीकता

Central leadership द्वारा लगातार monitoring


इसके मुकाबले MGB का अभियान:

रैलियाँ बड़ी थीं,

लेकिन अभियान बिखरा हुआ था

कोई एकीकृत डेटा-आधारित infrastructure नहीं था

सोशल मीडिया रणनीति आक्रामक थी, प्रभावी नहीं


चुनाव जीतने के लिए सिर्फ नारा नहीं,
वैज्ञानिक चुनाव संचालन चाहिए—NDA ने यह किया।


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⭐ 5. भावनात्मक मुद्दे: कानून-व्यवस्था, विकास और स्थिरता


आप चाहे किसी भी राज्य में देखें—
भावनात्मक मुद्दों का चुनाव में बहुत महत्व होता है।
NDA ने किस भावना को छुआ?

✔ “सुरक्षित बिहार”
✔ “स्थिर सरकार”
✔ “मेरे घर में बदलती सुविधाएँ”
✔ “भ्रष्टाचार-मुक्त मॉडल”

दूसरी तरफ MGB जिन भावनाओं को सामने लाया:

❌ “नौजवानों की मदद”
❌ “पुराने शासन की आलोचना”
❌ “सरकारी नौकरी का वादा”

लेकिन भारतीय मतदाता अब भावनाओं के साथ-साथ
कार्यान्वयन का रिकॉर्ड भी देखते हैं।

⭐ 6. डिजिटल जनसंपर्क: BJP का गहरा नेटवर्क बनाम MGB का रैली आधार

2025 का चुनाव डिजिटल युद्ध भी था।

NDA:

WhatsApp micro groups (10–20 लोग)

गांव-स्तर पर content circulation

महिलाओं के लिए अलग digital content

लाभार्थियों के लिए targeted content

local influencers + grassroots creators


महागठबंधन:

बड़े-बड़े speeches, viral clips

लेकिन ground targeting कमजोर

digital energy अधिक, conversion कम


BJP ने digital को जमीन से जोड़ा,
जबकि RJD–Congress digital को mass media की तरह इस्तेमाल करते रहे।

 

NDA की जीत ‘एक नीति’, ‘एक नेता’, या ‘एक वर्ग’ की वजह से नहीं—बल्कि एक समन्वित राजनीतिक मशीनरी का परिणाम थी।

महागठबंधन में क्षमता तो थी,
लेकिन एकजुटता, विश्वास और संचालन की कमी ने पूरे गठबंधन की नाव डुबो दी।

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